हल्द्वानी
केंद्रीय सचिव युवा उत्तम सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड में बेरोजगारी के विषय पर बोलते हुए कहा कि मूल निवास पर्वतीय राज्य होने के नाते हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। और यूकेडी इसे लेकर रहेगी। उन्होंने कहा कि मूल निवास 1950 क्या है ये जागरुकता हम पहाडियों में है ही नहीं। 1950 में जो भी उत्तराखंड का निवासी था उसकी पीढ़ी जो जहां भी पैदा हुआ उसका मूल निवास उत्तराखण्ड ही माना जाएगा। उत्तराखण्ड को छोड़ दिया जाये तो लगभग सारे राज्यों में मूल निवास 1950 ही माना जाता है । अगर उत्तराखण्ड में मूल निवास 1950 लागू हो जाएगा तो इस प्रदेश की सारी सरकारी नौकरियों में असली उत्तराखण्ड के लोगों को ही नौकरी मिलेगी लेकिन यहां भ्रष्ट, चापलूस और भ्रष्ट नेताओँ ने मूल निवास खत्म करके स्थायी निवास बना दिया मतलब बाहरी लोग जो 15 साल से उत्तराखण्ड में रह रहे हैं और बिजली का बिल अदा कर रहे हैं वो यहां की सरकारी नौकरी में आवेदन करने का हक रखते है जबकि अन्य राज्यों में मूल निवास ही चलता है।
खैर हमने तो समय निकाल दिया इसलिए पहाड़ियों यदि तुम चाहते हो हमारी आने वाली पीढ़ी बेरोजगारी का दर्द ना झेलें तो UKD के साथ आओ।भाजपाई और कॉंग्रेसी कभीं ये बातें नहीं करेंगे, इसलिए क्षेत्रीय पार्टी UKD से जुड़ें और अपना अधिकार प्राप्त करें ।