Hills Headline||
Visitors Desk ||
चरखा फीचर संस्था माध्यम से कन्यालीकोट, उत्तराखंड रहने वाली छात्रा महिमा जोशी द्वारा लिखित कविता आप भी पढ़िए !
यो छु हमर पहाड स्वर्ग समान
यो छु हमर जनम भूमि महान
डुगं माटक कुढ या हुनी
पाथरक बिधी छत छावनी
शहरक लोग उठण बखत अलार्म धरनी
पहाडक मेष चिड़िया चहकेल उठ जानी
एक एकक आहटेल सब चलनी
मिल जूल बे समाज मे रुनी
चुल मे ज्यौ मडुवक रवट बढुनी
पीनाउक जस साग लगूनी
चार पांच तो भैंस रुनी
या बुवारी दूर जंगल बे घा काट लुनी
प्यास लागढ बखत धारक पाण पि लिनी
या शुद्ध हाव शुद्ध पाण पिनि
या मेष किसानी ले करनी
धान गियु भर पेट खानी
नोट :- यदि आप भी , पहाड़ों के पलायन , गढ़वाली या कुमाऊंनी कविताएं, बेरोजगारी, पहाड़ों के सड़को ,शिक्षा, अस्पताल आदि विषयों पर लिखने के शौकीन हैं तो हमारे हमारे व्हाट्सएप नम्बर 7500773780 या ईमेल :-
hillsheadline@gmail.com मेल करें !