हल्द्वानी
उत्तराखंड, हल्द्वानी
।महिला सशक्तिकरण दिवस पर डा.रेनू शरण ने कहा महिला सशक्तिकरण अपने आप में एक परिपूर्ण शब्द है जिसका अर्थ है कि महिला सशक्त बनाने व अपने जीवन से जुड़े फैसलों को स्वयं लें।और अपने परिवार और समाज में इज्ज़त और सम्मान से जी सकें।समाज में जो उनके वास्तविक अधिकार है उनको प्राप्त करने में सक्ष्म बनें।महिलाएं स्वतंत्र बने तथा पारिवारिक और सामाजिक कुरीतियों और प्रतिबंधों का सामना कर सकें।कुल मिलाकर महिला सशक्तिकरण महिलाओं को अपने व्यक्तित्व विकास की जिम्मेदारी लेने का पूर्ण अधिकार देता है।आज हमारे देश में महिलाओं को सशक्त बनाने हेतु तमाम योजनाएं जैसे बेटी बचाओ बेटी पढाओ, सुकन्या समृद्धि योजना, प्रधानमंत्री उज्जवला योजना, सुरक्षित मातृत्व अवकाश योजना, सुमन योजना, फ्री सिलाई मशीन योजना, प्रधानमंत्री समर्थ योजना, आदि हमारी भारत सरकार द्वारा महिला कल्याण हेतु चलाई गई है परन्तु दुर्भाग्य है कि हम ज्यादातर महिलाएं इनसे बंचित है।और लाभ नहीं ले पा रहीं।सशक्तिकरण में सामाजिक सशक्तिकरण, राजनैतिक सशक्तिकरण, धार्मिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण में महिलाओं की भागीदारी कम से कम 30% तो होनी ही चाहिए।परन्तु दुर्भाग्य से आज भी चाहे सरकारी नौकरी हो या राज्य की विधानसभाएं,विधान परिषदों तथा देश की संसद में भी महिलाओं का अनुपात बहुत कम है और यह एक चिंता और चितंन का विषय है महिलाओं की स्थिति को अभिनिश्चत करने उनके समस्याओं के समाधान हेतु 1990 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग बनाया गया साथ ही प्रत्येक राज्य में राज्य महिला आयोग बनाये गये है जिनके माध्यम से महिलाएं अपनी आवाज उठा सकती है।उक्त आयोग महिलाओं के कानूनी अधिकार व हकों की रक्षा की गारंटी देता है।1909 मे पहली बार अमेरिका में महिला दिवस मनाया गया था।8मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। ताकि महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हो साथ ही हमारी मात्रशक्ति के लिये प्रेरणास्रोत महारानी लक्ष्मीबाई, इन्द्रागांधी, एनिवेसेंट,सावित्रीबाईफुले,किरण वेदी,फातिमा बी,सुषमा स्वराज,मदर टेरेसा, कल्पना चावला ,मीरा कुमार, प्रतिभा पाटिल, हमारी आदरणीय राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू स्मरणीय है।जो महिलाओं के लिए मिशाल है।साथ ही सम्मानित बहनों को राष्ट्रीय महिला दिवस की और सभी जन को होली की बधाई और शुभ कामनाएँ दी।