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हल्द्वानी:- उत्तराखंड के सभी क्षेत्रीय दल एकजुट होकर लड़ेंगे मूल निवास और भू कानून की लड़ाई , आगे की रणनीति के लिए कमेटी का गठन !

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हल्द्वानी!!

आज दिनांक 21-1-2024 को भू-कानून और मूल निवास पर एक सर्वदलीय संगोष्ठी का आयोजन हल्द्वानी मुखानी स्थित निजी कार्यालय में किया गया। सारे लोगों ने इकट्ठा होकर कहा कि उत्तराखंड राज्य की अवधारणा को ध्वस्त करने वालों को सबक सिखाया जाएगा। मूल निवास और भू-कानून हमारे जीवन मरण का सवाल है। यह उत्तराखंड की अवधारणा लागू करने की लड़ाई है। जिसके लिए पूर्व में दोनों सरकारों द्वारा चाहे वह कांग्रेस की हो या भारतीय जनता पार्टी की हमारे साथ छल किया गया है। जिसके लिए तमाम उत्तराखंड क्षेत्रीय संगठन एकजुट होकर लड़ेंगे। जिसमें विभिन्न संस्थाओं और राजनीतिक दलों के लोगों ने प्रतिभाग किया। जिसमे आयोजन कर्ता उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष श्री पी सी तिवारी, उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय विशिष्ट आमंत्रित सदस्य श्री भुवन चन्द्र जोशी, उत्तराखंड क्रांति दल के जिला सयोजक एडवोकेट मोहन काण्डपाल ने सभी लोगों का धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया। सभा की अधक्ष्यता विजया ध्यानी और पी सी जोशी जी ने की, सभा का संचालन दीवान सिंह खनी और बच्ची सिंह बिष्ट जी ने किया।



सभा में श्री पी सी जोशी जी ने २०२६ परिसीमन हिमांचल की तर्ज होने पर सुझाव और कौशिक समिति द्वारा दिए गए सुझाव पर प्रकाश डाला। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष श्री पी सी तिवारी जी ने हिमालय खाली होता जा रहा है। खेती चौपट होती जा रही है। जंगलों पर अधिकार कम हो रहे हैं विषय पर चिंता व्यक्त की। भुवन चंद जोशी ने कहा कि 86 प्रतिशत पिछड़े क्षेत्र, जिसके लिए उत्तराखंड की लड़ाई लड़ी गई थी 24 साल बाद उसकी स्थिति और बत्तर हो गई है। जगमोहन सिंह रौतेला द्वारा कहा गया कि उत्तराखंड में अभी तक उत्तर प्रदेश का भू कानून लागू है जबकि हिमाचल ने 1972 में अपना कानून बना लिया। कमल जोशी ने कहा कि हमारा राज्य जल्दी बाजी में बना है और जिनके द्वारा संघर्ष किया गया आज भी संघर्ष कर रहे हैं। उमेश विश्वास ने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर अपना सवाल उठाया और कहा कि हम लोगों को लोकतंत्र की आदत पड़ चुकी है। विजया ध्यानी द्वारा 2 अक्टूबर को मुजफ्फरनगर कांड के बारे में अपने विचार व्यक्त किये और 1994 में युवाओं के साथ संघर्ष को याद दिलाया। और इसी क्रम में एडवोकेट प्रकाश चन्द्र जोशी, इंदर सिंह मनराल, जगमोहन सिंह रौतेला, लीला बोरा, श्याम सिंह नेगी, मदन सिंह मेर, विनोद जोशा, उत्तम सिंह बिष्ट, रवि वाल्मीकि, प्रकाश चंद फुलोरिया, उमेश तिवारी (विश्वास), पहाड़ी आर्मी के हरीश रावत, राष्ट्रीय लोक दल के पंडित मोहन काण्डपाल, डॉ कैप्टन एम सी तिवारी, भावना पाण्डे, भूपाल सिंह धपोला, विशन दत्त सनवाल, दर्शन बडौला, जगत सिंह डोबाल, शैलेन्द्र सिंह दानू, अक्षत पाठक, पारिजात, बसन्त पाण्डे, प्रदीप कुमार, चन्द्र शेखर टम्टा, दिनेश उपाध्याय, ललिता बोरा, दयाल जोशी, मुन्नी देवी, लक्षिता बोरा आदि लोगों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किया। इसमें आगे की रणनीति के लिए कमेटी का गठन किया गया।

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