देहरादून
केशर जन कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट एन के गुसाईं ने सामाजिक कार्यकर्ता जयदीप भट्ट के हवाले से गत दिनों के लगभग सभी प्रमुख समाचार पत्रों में छपी खबर पर कहा कि उत्तराखण्ड की धामी सरकार सुशासन के तहत भ्रष्टाचारियों पर गहरा प्रहार कर इतिहास रचती आ रही है तो ऐसे में उम्मीद की जाती है कि राज्य सरकार पेयजल निगम में हुई अवैध नियुक्तियों पर भी राज्य व राज्य के बेरोजगारों के हित में ठोस निर्णय लेगी।
गुसाईं ने कहा कि उत्तराखण्ड शासन के पेयजल अनुभाग ने अपने पत्र – 1376/उन्तीस(1)/2020-(13 अधि0)2020 दिनांक 24.12.2020 के अनुसार वर्ष 2005 में सहायक अभियंता की भर्ती के अन्तर्गत श्रीमती मृदुला सिंह, श्रीमती मिशा सिंहा, श्रीमती नमिता त्रिपाठी, श्रीमती पल्लवी कुमारी, जो उत्तर प्रदेश व बिहार राज्य की निवासी हैं तथा वर्ष 2007 में सहायक अभियन्ताओं की भर्ती के अन्तर्गत चयनित श्रीमती सरिता गुप्ता उत्तर प्रदेश की निवासी हैं। परंतु उपरोक्त अभियंताओं को उत्तराखंड में महिला आरक्षण का लाभ दिया गया है जो शासनादेश संख्या-1144/कार्मिक -2-2001-53(1)/2001, दिनांक 18.07.2001 तथा शासनादेश- 589/कार्मिक-2/2002 दिनांक 21.06.2002 में किये गए प्रावधानों का उल्लंघन है। इसी प्रकार वर्ष 2005 में सहायक अभियंता भर्ती में श्री मुनीश कुमार करारा, श्री सुमित आनंद तथा श्री मुज्जमिल हसन उत्तराखंड से बाहर अन्य प्रदेशों के निवासी है तथा इनकी नियुक्ति उत्तराखंड राज्य की अनुसूचित जाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु आरक्षित पदों पर हुई हैं जिससे शासनादेश संख्या- 254/कार्मिक-2/2002 दिनांक 10.10.2002 में की गई व्यवस्था का उल्लंघन हुआ है।
राज्य के निवासियों द्वारा सचिव पेयजल विभाग एवं पूर्व प्रबन्ध निदेशक , उत्तराखण्ड पेयजल निगम एवे वर्तमान प्रभारी प्रबन्ध निदेशक को इन अवैध भर्ती अभियंताओं के खिलाफ कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित किये गये लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा पत्र पर कार्यवाही नही की गयी। अपितु वर्तमान में प्रभारी प्रबन्ध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार देख रहे श्री उदयराज सिंह द्वारा इन अवैध नियुिक्त धारी अभियन्ताओं को महत्वपूर्ण स्थानों पर देहरादून में ही तैनात कर दिया गया, जबकि पेयजल निगम के कई अभियन्ता वर्षो से अति दुर्गम स्थानों पर सेवा दे रहे है और कितने ही ऐसें भी है जों अति दुर्गम क्षेत्रों में सेवा देते देते ही रिटायरमेंट के करीब पंहुच गये हैं।
ऐसे में इन अवैध नियुिक्त धारी अभियन्ताओं के प्रति सचिव पेयजल विभाग एवं वर्तमान में प्रभारी प्रबन्ध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार देख रहे श्री उदयराज सिंह द्वारा अत्यधिक लचीलापन एवं अन्य प्रदेशों के कार्मिकों के साथ मिलिभगत कर उत्तराखण्ड के विकास विराधी कृत्य किया जाना कहीं न कहीे जिम्मेदार पदो पर बैठे अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। वर्तमान में समाचार पत्रों व सोशल मीडिया के माध्यम से ज्ञात हो रहा है कि उत्तराखण्ड शासन के अपर सचिव श्री कमेंन्द्र सिंह के आदेश संख्या 349/3705/2023 दिनांक 17 मई 2023 के अनुसार इन अवैध नियुक्ति धारियों पर कार्यवाही/सेवा समाप्त हेतु पत्र पेयजल निगम के प्रबन्ध निदेशक का जारी किया गया है , खेद का विषय है कि इस आदेश में अपर सचिव द्वारा गोलमोल आदेश दिया गया है जिससे स्पष्ट होता है कि जन दबाव में इन अवैध नियुक्ति धारियों पर कार्यवाही करने का दिखावा किया जा रहा है।
उपरोक्त अवैध नियुक्तिधारियों में से कुछ महिलाओं को तो प्रभारी प्रबन्ध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार देख रहे श्री उदयराज सिंह द्वारा विशेष सलाहकार बनाने के साथ साथ कई महत्वपूर्ण पदों के चार्ज तक दिये गये हैं, ये अवैध नियुक्तिधारियों कई वर्षो से देहरादून में तैनात हैं ।
राज्य सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल करने व नकल कराने वालों के खिलाफ सराहनीय कार्यवाहियां की गयी है, गलत प्रमाणपत्रों, बैक डोर भर्ती, विधान सभा सचिवालय की भर्ती, यूकेएसएसएससी व अन्य गलत कारणों के आधार पर नियुक्त हुये उत्तराखंड राज्य के ही विधान सभा सचिवालय कर्मियों व शिक्षा विभाग में कई शिक्षकों को बर्खाश्त किया गया है। इसके अलावा माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के कुशल नेतृत्व में भ्रष्टाचार में लिप्त प्रत्येक व्यक्ति के खिलाफ न्यायसंगत कार्यवाही की जा रही है। वर्तमान में राज्य में भर्ती अनियमितताओं में लिप्त कई व्यक्ति गिरफ्तार हुये हैं व कई भर्तियों पर जांच चल रही है।
ऐसे में हमारी समिति उत्तराखण्ड के मुख्यमन्त्री के साथ साथ उत्तराखण्ड शासन से मांग करती है कि पेयजल विभाग के पत्र-1376/उन्तीस(1)/2020-(13 अधि0)2020 दिनांक 24.12.2020 के अनुसार नियम विरूद्ध भर्ती सहायक अभियंताओं एवं सम्बन्धित दोषियों के खिलाफ जनहित में उचित कार्यवाही कर, उत्तराखण्ड शासन के अपर सचिव श्री कमेंन्द्र सिंह के आदेश संख्या 349/3705/2023 दिनांक 17 मई 2023 को संसोधित कर इन अवैध नियुक्ति धारियों को सेवा मुक्त/बर्खाश्त करने का स्पष्ट आदेश जारी किया जाना चाहिये , साथ ही जब तक इन भ्रष्टाचारियों की सेवा समाप्त की कार्यवाही की जाती है तद्समय तक इन्हें एवं पेयजल निगम के प्रभारी प्रबन्ध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार देख रहे श्री उदयराज सिंह को जिम्मेंदार पदों से तुरन्त हटा दिया जाये जिससे ये उत्तराखण्ड राज्य व देश के माननीय प्रधानमन्त्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी की जनकल्याणकारी योजनाओं जल जीवन मिशन, हर घर नल, स्वजल व नमामि गंगे जैंसी परियोजनाओं को नुकसान न पहुंचा सके ।