देश के अन्य राज्यो में राजस्थान, उड़ीसा, तेलंगाना, पंजाब में संविदा कर्मचारी नियमित हो गए हैं। लेकिन उत्तराखंड में सरकार हाईकोर्ट के नियमितीकरण आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ रही है। हालांकि हाईकोर्ट व श्रम न्यायाधिकरण कर्मचारियों को नियमित करने के आदेश कर चुका है। इन्हीं आदेशों को के विरोध में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है Hindustan news के मुताबिक पता चला कि अध्यक्ष विनोद कवि का कहना है कि सरकार सिडकुल, बीज विकास प्रमाणिकरण एजेंसी, राज्य सहकारी बैंक, जिला सहकारी बैंक, साधन सहकारी समिति, राज्य सहकारी संघ, राज्य भंडारण निगम, विधानसभा में कर्मचारियों को नियमित कर चुकी है। किसी कर्मचारी को पांच तो किसी को दो से तीन साल के भीतर ही नियमित कर दिया गया। जबकि 15 से 20 साल से सेवाएं दे रहे उपनल कर्मियों को नियमित नहीं किया जा रहा है। जबकि
स्वास्थ्य विभाग में कोरोना के दौरान रखे गए कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया था। बाद में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन होने पर इन कर्मचारियों को एक साल का सेवा विस्तार दिया गया। इसी तरह विधानसभा में 2016, 2020 और 2022 में रखे गए तदर्थ कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई। ये मामला अब हाईकोर्ट में विचाराधीन है।