उत्तराखंड

योगेश बहुगुणा के द्वारा अंकिता हत्याकांड पर बनाई गई वायरल कविता आपके आखों में आँसू निकाल देगा ! क्या लिखा हैं देखें :—

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उत्तराखंड में हुए चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड ने प्रदेश के साथ साथ पूरे देश को झकझोर के रख दिया है। पूरे देश के जनमानस के दिल, दिमाग और जुबान पर सिर्फ एक ही बात है कि अंकिता भंडारी के हत्यारों को शीघ्रातिशीघ्र फाँसी की सजा दी जाय ताकि ये भविष्य के लिए एक नजीर बन सके। हत्याकांड में शामिल सभी अपराधियों को ऐसा सबक मिले कि कोई भी इस तरह के कुकृत्य करने की सोच भी ना सके।
देश विदेश में रहे वाले सभी उत्तराखंडियों के दिल में इस हत्याकांड को लेकर एक आग सी जली हुई है। सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक हर जगह इसी बात की चर्चा है कि अंकिता को इंसाफ मिले। प्रदेश तथा देश का प्रत्येक व्यक्ति विभिन्न माध्यमों से अंकिता के लिए इंसाफ की गुहार लगा रहा है। सरकार तक यह बात पहुँचाने कि कोशिश कर रहा है कि अंकिता के हत्यारों को जल्द से जल्द फाँसी दी जाय।
सोशल मीडिया में अपनी बात को बेबाकी से रखने वाले एक सोशल एक्टिविस्ट योगेश बहुगुणा “योगी” की एक कविता काफी वायरल हो रही है। इस कविता के माध्यम उन्होंने घटना की रात अंकिता भंडारी के साथ क्या दरिंदगी हुई और उस समय अंकिता की मनोस्थिति क्या रही होगी यह बताने की कोशिश की है। इस कविता में योगेश बहुगणा ने अंकिता भंडारी के साथ हुए जघन्य अपराध और अपराधियों की दरिंदगी को लिखा है और एकजुट होकर अपराधियों तथा उनको संरक्षण देने वालों को उनके सही अंजाम तक पहुँचाने का एक प्रण भी लिया है।


बीच दरिंदो के थी तू, कोई नहीं था तेरे साथ।
खूब लड़ी होगी ना उनसे, कितनी भयावह होगी वो रात।।

खूब हाथ जोड़े होंगे, कई मिन्नतें माँगी होगी।
उन कातिलों से बचने को, तू दौड़ी होगी भागी होगी।।


तेरे आँसू देखके उनको, बिल्कुल भी दया नहीं आई।
बेशर्मों को अपनी करतूतों पर, तनिक भी हया नहीं आई।।

उन निर्लज्जों ने बहना तुझको, कितना लाचार बना डाला।
नीच सोच का उन कुत्तों ने, तुझे शिकार बना डाला।।

तू खतरों के बीच में है, ये तुझे बताने आया होता।
काश फ़रिश्ता बन कोई, तुझे बचाने आया होता।।

अपनी सुरक्षा का तूने, मन में विचार रखा होता।
तेरे बदले वो मरता गर, संग कोई हथियार रखा होता।।

काश तू पलभर के लिए ही, झाँसी की रानी बन जाती।
काट गला उस भेड़िये का, एक अमिट कहानी बन जाती।।

लुटती इज्जत टूटे अरमान, मुँह दुनिया से मोड़ गयी।
काश, किंतु परन्तु के संग, हमें पछताता छोड़ गयी।।

तेरी असमय मौत को हम, बिल्कुल भी पचा नहीं पाए।
पूरी लड़ेंगे तेरी लड़ाई, चाहे तुझको बचा नहीं पाए।।

आज कसम खाते हम, तुझे इंसाफ दिलाएंगे।
तेरे हर एक गुनहगार को, फाँसी पर चड़वाएँगे।।

कब तक दरिंदों पर पर्दा, ये बेशरम कर के रखेंगे??
जब तक ना मिले न्याय तुझे, इनकी नाक में दम कर के रखेंगे।।

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