

भुवन चन्द्र जोशी

अशिक्षा, गरीबी व बेरोजगारी ये तीन प्रमुख कारण हैं, जो पलायन का कारण बनते हैं। गांवों में न शिक्षा का माहौल है और न ही रोजगार का कोई साधन। इस कारण लोग पलायन को विवश हो जाते हैं। ग्रामीणों को आशा रहती है कि उन्हें महानगरों में जीवन की सभी सुविधाएं मुहैया हो पाएंगी। महानगरों का दिवास्वप्न ही उन्हें गांवों से शहरों की ओर भटकाव कराता है। देश के जो राज्य उग्रवाद प्रभावित हैं,
पलायन के मुख्य कारण
देश में पलायन के कई कारण मौजूद हैं। इसमें सबसे प्रमुख कारण अशिक्षा व बेरोजगारी है। गांवों में शिक्षा का संस्थागत ढांचा नहीं रहने के कारण ग्रामीण शिक्षित नहीं हो पाते हैं। अशिक्षा उन्हें मजदूरी व अन्य काम करने को विवश करती है। ग्रामीण अच्छे व बूरे को नहीं समझ पाते हैं। उन्हें अपने पेट भरने के लिए काम की दरकार होती है। ऐसे में गांवों के गरीब परिवारों को मजदूरी करनी पड़ती है। इन्हें गांव के नजदीक मजदूरी नहीं मिलने के कारण ये महानगरों व बड़े शहरों में पलायन करते हैं। इसके अलावा शिक्षित ग्रामीणों को भी नौकरी नहीं मिल पाती है। उन्हें भी नौकरी के कारण बाहर के शहरों में पलायन करना होता है। सरकार द्वारा भी स्थानीय स्तर पर नौकरी की सुविधाएं मुहैया नहीं करायी गई हैं। इस कारण भी गांवों से लोग महानगरों की ओर पलायन को विवश होते हैं।
पलायन को रोकने के लिए शिक्षा।
सरकार व गैर-स्वयंसेवी संस्थाएं इन क्षेत्रों में जाकर शिक्षा का प्रचार-प्रसार करें। इसके अलावा इन क्षेत्रों में शिक्षा का दीप भी जलाए। स्थानीय स्तरों पर कम से कम मैट्रिक तक की शिक्षा उपलब्ध कराने को आगे आए। बिना शिक्षा के समाज को नहीं बदला जा सकता। लोग अगर शिक्षित होंगे, तो पलायन की समस्याओं को भी समझ सकेंगे। सरकार इन क्षेत्रों में शिक्षा की प्राथमिक, माध्यमिक व उच्च व तकनीकी एवं रोजगारपरक प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान कराए। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को प्रशिक्षण दें, जिससे वे रोजगार से जुड़ सकें और अपनी आमदनी बढ़ा सकें।




