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राजस्थान
कई बार पहली ही असफलता के बाद युवा अपनी मंजिल की तरफ जाने वाले रास्ते ही बदल देते है. लेकिन सरहदी बाड़मेर में एक भाई-बहन की जोड़ी ने शुरुआती असफलता से सीख लेते हुए खुद के शिक्षक बनने के जुनून को बरकरार रखा. लिहाजा हाल ही में आए शिक्षक भर्ती परीक्षा लेवल 1 में दोनो भाई बहन का चयन शिक्षक के तौर पर हुआ है.
बताया जा रहा है कि बाड़मेर के छोटे से गांव हेमावास, खडीन के रहने वाले खेताराम और प्रमिला चौधरी की इस सफलता के बाद दोनों को बधाई देने वालों का सिलसिला जारी है. हेमावास में किसान परिवार से तालुक रखने वाले भाई-बहन ने पिछले साल के रीट परीक्षा में सफलता के करीब पहुंच कर असफलता को देखा था. आज जब दोनों शिक्षक बने है तो पिता मेहराराम और इनकी मां को इनकी सफलता पर बेहद गर्व है.
फेल होने के बाद नहीं मानी हार
खेताराम बताते हैं कि उनकी शुरुआती शिक्षा के दौरान रोजाना 14 किलोमीटर का पैदल ही सफर तय करना पड़ा. 10वी में पढ़ाई के दौरान एक बार फेल हो गया. इसके बाद 12वीं पास करके बीसीए में प्रवेश लिया लेकिन यहां भी असफलता ही हाथ लगी. फिर बीए करने के लिए फॉर्म भरा लेकिन फर्स्ट ईयर को पूरी करने में ही उन्हें तीन साल लग गए. इसके बाद पढाई छोड़कर टैक्सी चलाई. वहीं साल 2016 में गुजरात में ट्रक चालक बन गए और साल 2017 में चितौड़गढ़ से बीएसटीसी कर ली और फिर पढाई छोड़कर ट्रक चालक बन गए.
आखिरकार हो गए कामयाब
साल 2021 में खेताराम ने रीट की परीक्षा दी तो उन्हें असफलता मिली तो एक बार फिर से तैयारियों में जुट गए. और 2022 में आई रीट भर्ती परीक्षा के लिए तैयारी में जुट गए और आखिरकार उनके हाथ सफलता लगी है. बार-बार की असफलता के बाद मिली सफलता के मायने ही बदल गए है. अब भाई-बहन के घर बधाई देने का सिलसिला जारी है.
परिवार में जश्न का दौरा
वहीं प्रमिला बताती है कि भाई-बहन का एक साथ शिक्षक के रूप में चयन होने के बाद पूरे परिवार, रिश्तेदारों में खुशी का माहौल है. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले भाई-बहन की सफलता के हर कोई चर्चे कर रहा है. मां बताती है कि जिस दिन बच्चे स्कूल जॉइन करने जाएंगे तब वह भी दोंनो के साथ स्कूल जाएंगे.