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बरेली
कांवड़ियों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज करना बरेली एसएसपी को भारी पड़ गया। रविवार की देर शाम शासन ने उनका तबादला कर दिया। प्रभाकर चौधरी की जगह सीतापुर में एसपी रहे घुले ऐप पर पढ़ें चंद्रभान को बरेली का नया एसएसपी बनाया गया है। विधानसभा चुनाव के बाद घुले सुशील चंद्रभान को सीतापुर का एसपी बनाया गया था। एक साल बाद ही घुले सुशील को बरेली एसएसपी की जिम्मेदारी दी गई है। बतादें कि रविवार को दूसरे समुदाय की महिलाओं ने कांवड़ियों को अपने धर्मस्थल से नहीं निकलने देने को लेकर धरना दे दिया था।
वहीं कांवड़िए भी उसी रास्ते से कांवड़ यात्रा निकालने की जिद पर अड़ गए थे। पुलिस की ओर से दोनों को समझाया गया लेकिन बात नहीं बनी थी। कांवड़िया अपनी जिद पर खड़े थे। डीजे बजाकर डांस कर रहे थे। पुलिस अधिकारियों की बात मानने को राजी नहीं थे। इस पर एसएसपी को गुस्सा आ गया। उन्होंने लाठियां फटकार कर कांवड़ियों को खदेड़ दिया। दो अश्रु गैस के गोले चलाए गए। पुलि अगला गली में खड़े तमाम कांवड़ियों और लोगों को भी जमकर तोड़ा। ड बरसाए। एक आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
सात दिन बाद जोगीनवादा में पुलिस-प्रशासन फिर फेल
जोगीनवादा में पिछले रविवार से ही माहौल तनावपूर्ण है ले, ऐप पर पढ़ें पुलिस और प्रशासन इसे सामान्य करने में नाकाम रहा। रविवार को वहां कांवड़ यात्रा निकलने की बारी आई तो फिर टकराव के हालात बन गए और पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। पिछले रविवार को गुसाईं गौंटिया से निकले कांवड़ियों के जत्थे पर जोगीनवादा में दूसरे समुदाय के धर्मस्थल के सामने पथराव किया गया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर ईंट पत्थर चले। चार लोग घायल हुए और पुलिस की एक गाड़ी भी तोड़ दी गई ।
सपा के पूर्व पार्षद उस्मान अल्वी समेत दो लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेजा था। तब से ही जोगीनवादा में पुलिस तैनात है। बवाल वाले स्थान से मोहर्रम जुलूस निकालने के दौरान भी सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी रही। इस बीच डीएम और एसएसपी ने वहां के निरीक्षण कर हालात का जायजा लिया और लगातार फोर्स तैनात है। इसके बावजूद वहां अंदर ही अंदर सुलग रही चिंगारी को भांपने में पुलिस-प्रशासन नाकाम रहा। परिणाम स्वरूप पिछले बवाल के एक सप्ताह बाद ही वहां दोबारा टकराव की नौबत आ गई और पुलिस को बलप्रयोग करना पड़ा।
खुफिया विभाग से भी मिली थी रिपोर्ट
सूत्रों का कहना है कि रविवार को दोबारा हुए बवाल को लेकर खुफिया इकाइयों ने भी अपनी रिपोर्ट में चेताया था। मगर इसके बावजूद कमजोर प्लानिंग के चलते लगातार दूसरी बार वह ऐप पर पढ़ें के हालात बन गए। अफसरों को भी इस बात का बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि एक ही स्थान पर माहौल फिर बिगड़ सकता है।