वर्ष 2021 में उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने में राज्य आंदोलनकारियों के चिह्नांकन के आदेश दिए थे। उस पर पूरे प्रदेश में आंदोलनकारियों की तस्वीर लगाने की कार्रवाई शुरू हुई थी और हर जगह से उनके आवेदनों को लेकर जिला प्रशासन स्तर पर काम शुरू किया गया था। आंदोलनकारियों की फाइनल सूची भी तैयार कर ली गई। लेकिन अभी तक उनके परिणाम कुछ नहीं निकले हैं। राज्य की लड़ाई वाले आंदोलनकारी स्वयं को हताशा महसूस कर रहे हैं क्योंकि ऐसे सभी आंदोलनकारी दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और अभी तक सभी सरकारी अधिकृतताएं पूरी करने के बावजूद उन्हें सरकार की ओर से राज्य आंदोलनकारी का स्तर नहीं दिया गया है।
दूसरी तरफ उत्तराखंड राज्य आंदोलन मंच राज्य आंदोलनकारियों की प्रतीक को लेकर लगातार सरकार की अपनी मांग रखता है, जिम में सरकारी नौकरियों में 10 प्रतिशत बारीकियों की मांग भी प्रमुख है। इसको भी लेकर सरकार ने अभी तक कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं किया है।
ऐसे में दिसंबर 2021 के सभी व्यापक आंदोलनकारी भी इस उम्मीद में बैठे हैं कि अब सरकार का आदेश हो सकता है और वे भी पेंशन के रास्ते खुल जाएंगे।
इस मामले में प्रदेश की भाजपा सरकार को निश्चित रूप से ध्यान देना चाहिए क्योंकि जिन आंदोलनकारियों के कारण आज सभी सत्ता में सुख भोग रहे हैं उनके जायज मानचित्र को नहीं जाना जाना चाहिए।