उत्तराखंडसमाचार

पहाड़ों का पलायन रोको,भारत की विकास यात्रा 5G तकनीक से लेकर चंद्रयान तक पहुँच चुकी है पर पहाड़ सिर्फ और सिर्फ पहाड़ ही रह गया है :- बीरेंद्र कपकोटी

Birendra Singh Kapkoti

पहाड़ सिर्फ एक शब्द नहीं है यह एक प्रतीक है यहां रहने वाले बाशिंदों का जो रोज पत्थर के साथ लड़ाई लड़ते हैं, इस आस में अपना जीवन यापन करते हैं कि कभी तो दिन बदलेंगे कहने को तो यह आपकी और मेरी तरह ही हाड मास के बने हुए हैं पर जीवन जीने की जिजीविषा इनके भीतर हम लोगों से कहीं अधिक है अगर मैं यह कहूं कि पहाड़ इन लोगों की वजह से ही पहाड़ है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी पर आज पहाड़ वीरान होता जा रहा है क्योंकि यह बाशिंदे पहाड़ छोड़ रहे या यु कहूँ की पालयन कर रहे है ऐसे क्या हो रहा है पहाड़ के भीतर की आज भारत की विकास यात्रा 5G तकनीक से लेकर चंद्रयान तक पहुँच चुकी है पर पहाड़ सिर्फ और सिर्फ पहाड़ ही रह गया है जितना कठोर , निष्ठुर साथ दशक पहले थे वैसा ही आज भी है , एक तरफ देवभूमि उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है जहाँ प्राकृतिक सौंदर्य और शानदार दृश्यों के साथ-साथ विविधता भी है। यहाँ के लोगों की संस्कृति भी बहुत रमणीय है। दूसरी तरफ उत्तराखंड में पिछले कुछ समय से पलायन की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है , आज गाँव के गाँव खाली हो गए है आम जनमानस का मोह इस स्तर तक भंग हो चूका है लोगो ने अपने पित्तरो की कुड़ी तो छोड़ ही दी विडम्बना यह की अपने साथ साथ अपने इष्टदेव को भी स्थाई रूप से अपने साथ शहरो की भीड़ भाड़ , संकुचित स्थानों पर अवस्थित कर दिया है । इस लेख में, हम पलायन के कारणों और ग्राम स्तर पर पलायन को रोकने के लिए सरकारों द्वारा क्या कदम उठाने चाहिए इस पर चर्चा करेंगे।



पलायन के कारण:

उत्तराखंड में पलायन के कई कारण हैं। कुछ अहम कारण निम्नलिखित हैं:

  1. बेरोजगारी: उत्तराखंड में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है जो लोगों को अन्य राज्यों जाने के लिए मजबूर करती है।
  2. उत्पादन असंतोष: किसानों को उत्पादन में असंतोष है और वे अधिक आय वाले रोजगार के लिए अन्य राज्यों में जा रहे हैं।
  3. आवास की विवाद: कई लोग उत्तराखंड में आवास के मामले में विवादों का सामना करते हैं।
  4. शिक्षा के अभाव:शिक्षा की सुविधाओं के अभाव के कारण लोग अन्य राज्यों में शिक्षा के लिए जा रहे हैं। यह समस्या खासकर उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में देखी जा सकती है।
  5. बुनियादी सुविधाओं की कमी: कुछ इलाकों में, बुनियादी सुविधाओं की कमी होने के कारण लोग दूसरे राज्यों में जा रहे हैं।

पलायन को रोकने के उपाय:

उत्तराखंड में पलायन को रोकने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:

  1. रोजगार के अवसर: सरकार को उत्तराखंड में नौकरियों के अवसर बढ़ाने के लिए उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।
  2. स्थानीय उत्पादन की संवर्धन: स्थानीय उत्पादन को संवर्धित करने वाली योजनाओं को शुरू करने चाहिए। इससे किसानों को उत्पादक के रूप में बचाया जा सकता है और उन्हें विवाह, शिक्षा, स्वास्थ्यआदि की अधिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकती हैं।
  3. शिक्षा के विकास: शिक्षा के क्षेत्र में विकास के लिए सरकार को अधिक निवेश करना चाहिए। अधिक विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों को स्थापित करने से लोगों को उनकी पसंद के अनुसार उच्च शिक्षा के विकल्प मिलेंगे।
  4. स्वास्थ्य सेवाओं के विकास:
    स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए भी सरकार को उत्तराखंड में अधिक निवेश करना चाहिए। इससे लोगों को उच्च गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी जो उनके रहने के स्थान पर ही उपलब्ध होंगी।
  5. संगठित अपनी संगठन को बढ़ावा देना चाहिए।
    उत्तराखंड के संगठित क्षेत्रों में जागरूकता का बढ़ावा देने से लोगों को वहां रहने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
  6. ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना चाहिए। इंटरनेट कनेक्टिविटी को बढ़ाने से लोग अधिक ऑनलाइन शिक्षा और रोजगार के अवसरपा सकते हैं जो उन्हें आगे बढ़ने में मदद कर सकते हैं। इसके अलावा इंटरनेट कनेक्टिविटी के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचने में भी सुविधा होगी।
  7. वन्य जीवन के संरक्षण: उत्तराखंड के वन्य जीवन को संरक्षित रखने के लिए सरकार को वन्य जीवन संरक्षण योजनाओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके लिए वन्य जीवन संरक्षण के लिए अलग-अलग क्षेत्रों में पार्क बनाए जाने चाहिए।
  8. पर्यटन को बढ़ावा देना चाहिए: उत्तराखंड को पर्यटन के लिए विकसित करने के लिए सरकार को उत्तराखंड के प्रत्येक क्षेत्र में पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देना चाहिए। इससे उत्तराखंड के लोगों को नौकरियों के अवसर मिलेंगे और पर्यटकों को उत्तराखंड की सुंदरता और परम्पराओं का अनुभव मिलेगा।
  9. अतिरिक्त उद्योग विकास: सरकार को उत्तराखंड में अतिरिक्त उद्योग विकास के लिए बढ़े हुए संभावनाओं को खोजना चाहिए। इससे उत्तराखंड के लोगों को नौकरियों के अवसर मिलेंगे और राज्य की आर्थिक विकास भी होगा। उत्तराखंड के जल, जमीन, और वन्य जीवन के संसाधनों के साथ उत्तराखंड में अतिरिक्त उद्योग विकास के लिए बढ़े हुए संभावनाओं को खोजना चाहिए।
  10. समाज के विकास: उत्तराखंड में समाज के विकास के लिए सरकार को उत्तराखंड के स्कूलों, कॉलेजों, और विश्वविद्यालयों को सुविधाजनक बनाने के लिए अधिक ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, समाज के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और आवास की सुविधा भी उपलब्ध करानी चाहिए।
  11. जल संरक्षण: उत्तराखंड को जल संरक्षण के लिए उत्तराखंड की नदियों को साफ रखने के लिए और जल संचय के लिए नदियों के किनारे तालाब बनाए जाने चाहिए। इससे जल संबंधी समस्याओं का समाधान होगा और जल संरक्षण के लिए उत्तराखंड को एक उदाहरण भी बनाया जा सकेगा।
  12. नवाचारी तकनीक: उत्तराखंड में नवाचारी तकनीक को बढ़ावा देना चाहिए। सरकार को उत्तराखंड में नवाचारी तकनीक के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों के साथ सहयोग करना चाहिए। इससे न केवल विद्यार्थियों को नवीनतम तकनीकी ज्ञान प्राप्त होगा, बल्कि इससे स्थानीय उद्योगों को भी फायदा होगा। नवाचारी तकनीक से उत्तराखंड में उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सकती है और यह राज्य को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने में मदद कर सकती है।
  13. संरचनात्मक विकास: उत्तराखंड के संरचनात्मक विकास के लिए सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए। संरचनात्मक विकास के अंतर्गत, राज्य में नए सड़क, पुल, रेलवे लाइनें, एयरपोर्ट और डाम बनाए जाने चाहिए। इससे उत्तराखंड के विकास में मदद मिलेगी और इससे पर्यटन सेक्टर भी फायदा होगा।
  14. राज्य के संबंध में सजगता बढ़ाना: उत्तराखंड में जनता को अपने राज्य के संबंध में जागरूक करना चाहिए। सरकार को संबंध में जनता को जागरूक करने के लिए अधिक से अधिक कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए चाहिए जिससे जनता को अपने राज्य के विकास में सहभागिता का अवसर मिल सके। सरकार को समय-समय पर जनता के बीच संवाद के लिए आमंत्रित करना चाहिए और उनके मुद्दों और समस्याओं को सुलझाने के लिए सक्रिय होना चाहिए। जनता के संबंध में सजगता बढ़ाने से सरकार राज्य के विकास के लिए आवश्यक सहयोग और समर्थन प्राप्त कर सकती है।
  15. पर्यावरण संरक्षण: उत्तराखंड का पर्यावरण बहुत संवेदनशील है और इसे संरक्षित रखने के लिए सरकार को कड़ी मेहनत करनी चाहिए। पर्यावरण संरक्षण के अंतर्गत, वनों की संरक्षण, जैव विविधता के संरक्षण, जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए नीतियों के अनुसरण करना चाहिए। इसके साथ ही, जनता को भी पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक करना चाहिए।
  16. समाज कल्याण: उत्तराखंड में समाज कल्याण को सरकार की प्राथमिक ध्येय बनाना चाहिए। समाज कल्याण के अंतर्गत, बच्चों की शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, दलितों और आदिवासियों के विकास, गरीबों के लिए आर्थिक सहायता, रोग-मुक्त समाज बनाने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच आदि शामिल होते हैं। सरकार को उन्हें लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के विस्तार करने की आवश्यकता है। जनता के लिए सशक्तिकरण के लिए उन्हें उनके मूलभूत अधिकारों के बारे में जागरूक करना और उन्हें स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक सहायता जैसी सुविधाओं की पहुंच प्रदान करना चाहिए।

उपरोक्त बिंदुओं के अतरिक्त भी बहुत से प्रकरण हो सकते है जिन पर सरकार का ध्यान अपेक्षित होना चाहिये

राजनैतिक तौर पर पलायन एक बहुत बड़ा मुद्दा है। यह मुद्दा उन लोगो को को प्रभावित करती है जो अपने गांवों से अलग होकर शहरों या अन्य राज्यों में नौकरी या अन्य संबंधित काम करने के लिए जाते हैं। एक अनुमान के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले कुछ वर्षों में लगभग एक लाख लोगों ने अपने गांवों या शहरों से निकलकर बड़े शहरों या अन्य राज्यों में नौकरी या अन्य संबंधित काम करने के लिए पालयन किया है।

इस समस्या के पीछे जो मुख्य कारण उन्हें हमने पहले ही आपको बता दिया है सरकार को चहिये की अधिक जनसंख्या, शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाएं, कम रोजगार अवसर और अन्य आर्थिक समस्याएं को नियंत्रित करे और समस्या को हल करने के लिए, सुविधाओं को बढ़ाने, नौकरी के अवसर बनाने और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए उपयुक्त कदम उठाये ।

इन सभी कदमों को अमल में लाने से उत्तराखंड वास्तव में देवभूमि बनेगी क्योकि कहा गया है नर है तो नारयण हैं , अर्थात जब जनता ही नहीं होगी तो इष्ट देवताओं को कों पूजेगा , तब कैसे यह धरा देवभूमि कहलाएगी ।

Hills Headline

उत्तराखंड का लोकप्रिय न्यूज पोर्टल हिल्स हैडलाइन का प्रयास है कि देवभूमि उत्तराखंड के कौने – कौने की खबरों के साथ-साथ राष्ट्रीय , अंतराष्ट्रीय खबरों को निष्पक्षता व सत्यता के साथ आप तक पहुंचाएं और पहुंचा भी रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप आज हिल्स हैडलाइन उत्तराखंड का लोकप्रिय न्यूज पोर्टल बनने जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button