जैंती,अल्मोड़ा
प्राइवेट स्कूलों की अपनी मनमानी पर अंकुश लगाए सरकार . पढ़ेगा इंडिया तभी तो आगे बढ़ेगा इंडिया’…ये नारा इसलिए दिया जाता है कि, देश का कोई भी बच्चा पढाई से वंचित ना रहे ! गरीब से गरीब परिवार का बच्चा भी विद्यालय जा सके, इसके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं।
लेकिन प्राइवेट स्कूलों की मनमानी हर वर्ष बच्चों के पेपर होने के बाद स्कूलों में नए दाखिला शुरू होने के साथ ही अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है और फिर मनमानी लूटपाट शुरू कर देते हैं जिसकी वजह से कई अभिभावकों को अपने बच्चों का स्कूल तक छुड़ाना पड़ जाता है इन स्कूलों के ऊपर भी ध्यान दीजिए एनुअल फीस ट्यूशन फीस स्कूल ड्रेस कॉपीकिताब सब में स्कूलों ने लूट मचा रखी है सरकार को इन स्कूलों पर भी लगाम कसने का प्रयास करना ।
हर प्राइवेट स्कूलो में उनके ही अपने बुक स्टाल पर उन्ही के कोर्स की किताबे मिलती है और हर साल कोर्स बदल दिया जाता है जिससे पुरानी किताबे बेकार हो जाती है। इस वजह से हर साल स्कूलों के मनमुताबिक हम ये बुक स्टाल से जो साठ गांठ का गोरख धन्दा चल रहा है इसमें। इसमें सभी मध्यम वर्गीय परिवार बुरी तरह प्रताड़ित हो रहे है।
हमारा यही कहना है कि किसी भी स्कूल की किताबे किसी भी बुक स्टालों पर उपलब्ध हो, और हर साल कोर्स बदलने की इस कार्य पर तुरंत रोक लगाई जाए। जिससे वही पुरानी किताबे किसी और बच्चों के काम आ सके इससे जो फालतू के पैसो की बर्बादी बंद होगी और हम सभी मध्यम वर्गीय परिवारो को राहत मिलेगी। और स्कूलो के साथ बुक स्टालों का जो कमीसन वाला धन्दा है वो भी बंद हो जाएगा।
मैं एक आम नागरिक होने के नाते प्रशासन से निवेदन करता हूँ की शिक्षा को लेकर सरकरी नौकरियां भी उन्ही लोगो को मिलनी चाहिए जो सरकारी स्कूल मे पढ़े लिखे हो नयी नियमावली तैयार करने के सन्दर्भ में में धामी सरकार और प्रसासन से भी अनुरोध करूंगा की इस विषय पर संज्ञान लेने की कोशिश करे