देहरादून
महाराष्ट्र के राज्यपाल पद से त्यागपत्र देकर लौटे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी(भगत दा) ने साफ कहा है कि अब वो सक्रिय राजनीति से दूर रहेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम बनने का ऑफर अब उन्हें आएगा ही नहीं। और ना वो प्रदेश में समानांतर पावर सेंटर बनेंगे।
सबकौल भगत-मैंने 2016 में पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष अमित शाह के सामने सक्रिय राजनीति से दूर रहने की इच्छा जाहिर कर दी थी। मैंने लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ा। फिर मीडिया ने ही मेरा नाम गवर्नर की रेस में शामिल कर दिया। जनता भी मुझसे इस बार ना नहीं करने की गुजारिश करने लगी।
इसी प्यार के चलते मैंने बाद में पीएम के कहने पर महाराष्ट्र में राज्यपाल बनना स्वीकार किया। सीएम बनने की इच्छा पर बोले-यह ऑफर आएगा ही नहीं। उन्होंने कहा, उत्तराखंड वैसे ही भूचाल से परेशान है, इसलिए सियासी भूचाल की कल्पना ना करें। उनके मन में सृजन की भावना है, विस्फोट की नहीं। भगत ने कहा कि वो बिना भाजपा की सदस्यता लिए भी पार्टी का सहयोग कर सकते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को शिष्य बताए जाने पर कोश्यारी ने कहा कि कोई किसी का शिष्य नहीं है। धामी की तारीफ तो खुद पीएम नरेंद्र मोदी भी कर गए हैं, वो अच्छा काम कर रहे हैं। अपनी वापसी से उत्तराखंड में दो पावर सेंटर के सवाल पर बकौल कोश्यारी, पावर सेंटर बनना होता तो 12 करोड़ की आबादी वाला राज्य क्यों छोड़ता?
मैं खुद पावर छोड़कर आया हूं, ऐसे में पावर सेंटर बनने का सवाल नहीं उठना चाहिए। बकौल कोश्यारी, मैंने पौने दो वर्ष पहले राज्यपाल का पद छोड़ा है, यह दुनिया के लिए संदेश है कि पद और पैसा ही सबकुछ नहीं है। उत्तराखंड पेपर लीक मामले के सवाल पर उन्होंने कहा कि कई बार अधिकारियों से चूक हो जाती है, लेकिन सरकार इसे ठीक कर रही है।