हल्द्वानी
युवा समाजसेवी कार्तिक उपाध्याय के अनुसार आजकल उत्तराखंड देश दुनियाँ की सुर्खियों में बना हुआ है। एक तरफ बढ़ते भ्रष्टाचार की वजह से तो दूसरी तरफ प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था की वजह से। डबल इंजन का दम भरने वाली भाजपा सरकार का दूसरा कार्यकाल तो शुरुआत से ही विवादों से ही घिरा रहा है। मुख्यमंत्री धामी चाहे जनता को कुछ भी दिखाने की कोशिश करें लेकिन प्रदेश की वर्तमान स्थिति सबके सामने हैं।
कार्तिक उपाध्याय कहते हैं कि सचिवालय में भ्रष्टाचार हो या uksssc भर्तियों का घोटाला, सहकारिता विभाग में घोटाला हो या शिक्षा विभाग में घोटाला, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में नियुक्तियों का घोटाला हो या फिर दरोगा भर्ती घोटाला इन सब में भाजपा के नेताओं का और उनके चेले चपाटों का हाथ है।
दूसरी ओर प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था ने उत्तराखंड की डबल इंजन सरकार पर कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। कार्तिक उपाध्याय कहते हैं कि जगदीश हत्याकांड, लालकुआं क्षेत्र में प्रिया हत्याकांड और बहुचर्चित अंकिता हत्याकांड ने सरकार की कानून व्यवस्था की कलई खोल के रख दी है। प्रदेश की आम जनता पुष्कर सिंह धामी पर ही सवाल उठाने लगी है। लोगों का मानना है कि चुनाव से पहले जिस तरह धामी को धाकड़ दिखाने की कोशिश की गयी थी, धामी में उस तरह का दम नहीं दिख रहा। धामी की काबिलियत पर सवाल उठने लगे हैं।
कार्तिक उपाध्याय का ऐसा ही एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें पुष्कर सिंह धामी को इस्तीफा देने के लिए बोला जा रहा है।
कार्तिक उपाध्याय हमेशा पहाड़ और उत्तराखंड के हित की लड़ाई लड़ते आये हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से जनमुद्दों को काफी मजबूती के साथ उठाते हैं। कोरोनाकाल में कार्तिक उपाध्याय ने पहाड़ तथा मैदानी इलाकों से आने वाले मरीजों की काफी सहायता की थी।
देखिए क्या लिखा है युवा कार्तिक उपाध्याय ने:-
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के नाम इस्तीफे को लेकर खुला पत्र,
सेवा में,
श्रीमान पुष्कर सिंह धामी जी मुख्यमंत्री उत्तराखंड सरकार
विषय:-उत्तराखंड की आम जनता का विश्वास खो जाने एवं विपरीत परिस्थितियों में मुख्यमंत्री की भूमिका ना निभा पाने के कारण नैतिकता के आधार पर इस्तीफे के संदर्भ में
महोदय,
निवेदन इस प्रकार है कि वर्तमान परिस्थिति जो राज्य की बनी हुई है उसमें कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री की कई ऐसी जिम्मेदारियां हैं जिन पर आप पूर्ण रूप से खरे नहीं उतर पा रहे हैं,इसका कारण क्या है यह मैं नहीं जानता
आज उत्तराखंड के युवा अपने वर्तमान और भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हैं,वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड की बेटियां भी अंकिता प्रीति जैसे हत्याकांड के बाद असुरक्षित महसूस कर रही हैं
महोदय सर्वप्रथम यह की उत्तराखंड में जिस तरह लगातार भर्ती घोटाले सामने आए और प्रदेश भर के युवा उनकी सीबीआई जांच की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं,जो युवा पूरी लगन मेहनत के साथ भर्ती परीक्षा की तैयारी करें हुए थे उनकी उम्मीदों पर पूंजीवाद का डंडा कुछ ऐसा चला जिसका नतीजा यह निकला कि युवाओं का भविष्य खतरे में आ गया,लाखों-करोड़ों में पेपर बेच दिए गए और जिन्हें पकड़ा भी गया उनके ऊपर किसका संरक्षण था यह आज तक नहीं पता चल सका
उसके बाद विधानसभा भर्ती घोटाला सामने आया जिसमें सीधे विधानसभा अध्यक्ष सवालों के घेरे में आ गए उस पर भी अनौपचारिक तरीके से कार्यवाही हुई जिन्हें निकाला गया वह सभी कर्मचारी हाईकोर्ट की शरण में चले गए,लेकिन राज्य सरकार द्वारा अब तक विधानसभा भर्ती घोटाले में लिप्त नेताओं पर कोई कार्यवाही नहीं की गई
वहीं दूसरी तरफ राज्य में गरीबी के कारण मजबूर होकर एक लड़की ने परिवार को आर्थिक तंगी से निकालने के लिए नौकरी करना चाहा तो उसके ऊपर भी मात्र 20 दिनों की नौकरी में अत्याचार शुरू हो गए बल्कि सिर्फ अत्याचार नहीं रसूखदार लोगों ने उसकी इज्जत से खेलना शुरू कर दिया,जब वह लड़की अपनी इज्जत को बचाने के लिए आवाज उठाने ही वाली थी उसकी हत्या कर दी गई और हत्या के आरोपी जो भी सामने निकल कर आए वह भी रसूखदार एवं राजनीतिक परिवार से हैं और अब तक जिस तरह राजनीतिक व्यक्तियों द्वारा एवं आर्थिक रूप से मजबूत रसूखदारओ द्वारा पूरी जांच को छिन्न-भिन्न कर दिया गया,उसके बाद भी राज्य सरकार अथवा आप यहां भी अपनी भूमिका निभाने में विफल रहे हैं,जबकि अंकिता हत्याकांड के लिए भी पूरे प्रदेश भर में महिलाएं,युवा,वृद्ध लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं
सिर्फ यही नहीं कानून व्यवस्था भी आपके राज्य में सफल नहीं है हल्दुचौड़ लालकुआं का प्रिया हत्याकांड ही देखिए या फिर एक उस प्रेमी को देखिए जिसने बालिक होने के बाद शादी करी और उसकी भी हत्या कर दी गई अल्मोड़ा का जगदीश हत्याकांड
अभी 2 दिन पूर्व ही एक छात्र जो अग्निवीर की तैयारी कर रहा उसकी भी हत्या कर दी गई यहां भी पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था कई सवालों के घेरे में है
ऐसे में यह समझना आम नागरिक के बस का नहीं रहा आखिर आपकी ऐसी क्या मजबूरी है कि आप इन सभी अपराध हो के लिए सीबीआई जांच अब तक नहीं करा पा रहे हैं कई सवाल हैं जिनका जवाब बिना सीबीआई के मिलना आम नागरिक की नजर में संभव नहीं है
महोदय इसमें भी कोई दो राय नहीं है यदि किसी कक्षा के अनुत्तीर्ण हुए छात्र को विद्यालय अथवा विश्वविद्यालय का प्रधानाचार्य बना दिया जाए तो वह विद्यालय/विश्वविद्यालय अच्छी तरह नहीं चल पाएगा
ठीक उसी तरह उत्तराखंड की आम जनता ने आपको विधानसभा चुनाव में अनुत्तीर्ण कर दिया था,लेकिन आज यदि आप मुख्यमंत्री हैं तो वह अपनी राजनीतिक दल एवं संबंधों के कारण है अब ऐसे में राज्य की स्थिति को देखते हुए और अपनी विफलता को स्वीकारते हुए आपने स्वयं नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री के पद से त्यागपत्र दे देना चाहिए क्योंकि अपने अब तक के कार्यकाल में आप जनता का विश्वास नहीं जीत पाए बल्कि आपके प्रति जनता के भीतर अविश्वास बहुत ज्यादा हो चुका है
हालांकि आपके राजनीतिक समर्थकों,भारतीय जनता पार्टी के समर्थकों एवं युवाओं के लिए भले ही आज अभी भी चहेते हों,लेकिन आपको और सरकार को वोट सिर्फ किसी एक दल के कार्यकर्ता ने नहीं दिया बल्कि पूरी आम जनता ने उत्तराखंड के मतदाताओं ने इस सरकार का निर्माण किया है यह कड़वा सत्य है यदि यह खुला पत्र आप तक पहुंचा तो मैं यह जानता हूं आपको बिल्कुल अच्छा नहीं लगेगा,लेकिन हमारे पूर्वज कह कर गए हैं की सत्य हमेशा कड़वा होता है जिसे सुनना और सहना आसान नहीं होता लेकिन मैं आप से उम्मीद करता हूं आप अपनी विफलता को स्वीकार करेंगे और जल्द से जल्द नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देंगे,अन्यथा हम युवा मजबूर होकर संवैधानिक तरीके से आंदोलन कर आपके इस्तीफे के लिए राज्य एवं केंद्र के भीतर दबाव बनाएंगे
जय हिंद जय उत्तराखंड जय देवभूमि
#मुख्यमंत्री_इस्तीफा_दो #मुख्यमंत्री_नैतिकता_समझें_और_इस्तीफा_दें
भवदीय
युवा पहाड़ी कार्तिक उपाध्याय हल्द्वानी नैनीताल
राज्य सरकार निमार्ण का एक मतदाता