

पहाड़,पलायन और बेरोजगारी।
Hills Headline!!
कमल किशोर जोशी!
अल्मोड़ा, उत्तराखंड!


आज हमारे पहाड़ों से बहुत से गाँवों से लोग पलायन करके शहरों की तरफ बस चुके हैं। परन्तु जो हवा,और शुद्ध पानी पहाड़ों में था वो इन शहरों में नसीब ही नहीं हो सकता। आज हमारे उत्तराखंड को बने २४ साल हो चुके हैं, आज गांवों की हालत ये है कि आधे से ज्यादा लोग पलायन कर चुके हैं। गांवों में जिसे हम लोग पहले बाखली कहते थे,और उनमें एक साथ 07 से 08 मकान होते थे,वो वीरान होकर खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। या अगर किसी बाखली में 01 या 02 परिवार ही रह रहें हैं तो वो भी सड़क या अन्य शहर के नजदीक बस रहें हैं।कहीं आने वाले समय में ऐसा न हो जाय कि जो उत्तराखंड पहाड़ी राज्य बना था वो हल्द्वानी,रुद्रपुर या हरिद्वार,देहरादून तक ही सीमित ना रह जाय। पलायन का प्रमुख कारण है शिक्षा और स्वास्थ्य,पहाड़ों में इन दोनों मुद्दों पर कभी भी पूर्ती नहीं हो पाई,सरकारें दावा तो बहुत बड़ा करती हैं परन्तु धरातल पर आज तक कुछ भी नहीं हो पाया मैं जिस प्राथमिक स्कूल मैं पढता था,आज उसे बंद हुए 10 साल हो गए हैं,जब हम इंटरमीडिएट में थे उस समय भौतिक विज्ञान में हमें पढाने के लिए कोई प्रवक्ता नहीं था,हमने इंटरमीडिएट में ट्यूशन और अन्य माध्यम से ही भौतिक विज्ञान की पढ़ाई करी,उस समय जो लोग संपन्न थे उनके बच्चे ट्यूशन आदि करके पास हो गए,और जो लोग गरीब थे उनके बच्चे अपनी मेहनत से ही आगे बढ़े , आज इतने सालों के बाद हालत ऐसे ही हैं,अभी गैरसैंण में विधान सभा सत्र चल रहा था,इसमें भी सारे विपक्ष और कुछ सत्ता पक्ष के विधायकों द्वारा ये दो मुद्दे ही उठाये गये। पलायन का दूसरा कारण है बेरोजगारी आज किसी के पास रोजगार का कोई साधन पहाड़ों में नहीं है,रोजगार के लिए पहाड़ और खासकर कुमाऊँ के युवा हल्द्वानी और रुद्रपुर की तरफ रुख करते हैं,वहां पे 10 घंटे या 12 घंटे काम करके अपनी आजीविका चलाते हैं, और किराये के मकान में रहकर फैक्ट्री में कार्य करके 12000 से 15000 हजार कमाते हैं।
जिस तरह से रुद्रपुर और काशीपुर में इंडस्ट्रियल एरिया बनाया गया,क्या उसी तरह पहाड़ों में कोई इंडस्ट्रियल एरिया नहीं बनाया जा सकता,जरूर बनाया जा सकता है,उसके लिए सरकार को आगे आना होगा सिर्फ इन्वेस्टर समिट करने से कोई निवेशक नहीं आने वाला,उसके लिए पहाड़ों में वो सुविधा देनी होगी,और निवेशक के लिए एक माहौल बनाना होगा,अन्यथा निवेश सिर्फ होटल और रिसॉर्ट्स तक ही सीमित रह जायेगा,वो भी नैनीताल और भीमताल आदि में। अतः एक पालिसी बनाकर पहाड़ों में उद्योग चढ़ाने की सरकार को कोशिस करनी चाहिए , तभी कुछ पलायन रुकेगा।और शिक्षा और स्वास्थ्य ये भी सरकार के हाथ में है,पहाड़ों में डॉक्टर भेजे जाएं स्कूलों में पूरे टीचर दिए जाएं,बुनियादी सुविधाएं जुटाई जाएँ तभी पलायन भी रुकेगा,और पहाड़ों की रौनक भी लौटेगी। और हमारे वीरान होते गांव एक बार फिर आबाद होंगे। सरकार से भी गुजारिश है इसे गंभीर मुद्दा मानते हुए काम करे। और इस देवभूमि में जो हमारे कुलदेवता हैं वो भी अपना आशीर्वाद रखें,कि जो लोग गांवों में है वो सदा सुखी और खुश रहें तभी पहाडों की रोनक दुबारा लौटेगी और वीरान होते गाँव आबाद होंगे।




