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Tunnel Collapse: सरकार पर विपक्ष हुआ हमलावर, इस घटना ने न केवल प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी आपदा प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी है।

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देहरादून

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि अभी तक सरकार के पास मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोई ठोस प्लान सामने नहीं आया है। केवल हवा में हाथ पैर मारे जा रहे हैं। रेस्क्यू के नाम पर ए-बी-सी-डी प्लान की बात तो हो रही है, मगर अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

सिलक्यारा सुरंग हादसे में कांग्रेस ने आरोप लगाया कि एक सप्ताह से देश के लोग और विपक्ष नैतिक रूप से इस संकट की घड़ी में सरकार और आपदा प्रबंधन में लगी एजेंसियों के साथ खड़े थे, लेकिन अब सब्र का बांध टूट रहा है।
सरकार को बचाव कार्य करने के साथ जवाबदेही भी तय करनी होगी। 41 लोगों की बहुमूल्य जानों के साथ किसी को भी प्रयोग करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए। सोमवार को नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य मौके पर जाकर वस्तुस्थिति का जायजा लेंगे।

नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि इस घटना ने न केवल प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी आपदा प्रबंधन की पोल खोलकर रख दी है। सरकार को साफ करना चाहिए कि करीब पांच किमी लंबी इस टनल के निर्माण के मूल प्रोजेक्ट में मलबा निकालने व बचाव के लिए एडिट टनल व एस्केप टनल का प्रावधान था भी या नहीं?

अगर प्रोजेक्ट में ये प्रावधान था और कंपनी बिना एडिट टनल व एस्केप टनल के काम कर रही थी तो कंपनी पर सुसंगत धाराओं में आपराधिक मुकदमा भी दर्ज करना चाहिए। आर्य ने आरोप लगाया कि इस बड़ी परियोजना के निर्माण में मानकों और सुरक्षा के विकल्पों को स्थापित करने में निश्चित रूप से अवहेलना हुई है। इसलिए अब दुर्घटना होने के बाद विकल्पों को तलाशा जा रहा है।

वही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि अभी तक सरकार के पास मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कोई ठोस प्लान सामने नहीं आया है। केवल हवा में हाथ पैर मारे जा रहे हैं। रेस्क्यू के नाम पर ए-बी-सी-डी प्लान की बात तो हो रही है, मगर अभी तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी हुई है।

माहरा ने कहा कि सुरंग के निर्माण के दौरान निर्माण कंपनी लगातार मनमानी करती रही, लेकिन सरकार की किसी एजेंसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि अगर पहले सावधानी बरती गई होती तो इतनी बड़ी घटना ही नहीं होती।
एनएचआईडीसीएल ने सुरंग के निर्माण का ठेका तो हासिल कर लिया, लेकिन निर्माण कार्य दूसरी कंपनी के भरोसे छोड़ दिया। इस टनल का निर्माण करने वाली कंपनी पहले से ही विवादित रही है। महाराष्ट्र के ठाणे में 31 अगस्त को इसी वर्ष इस कंपनी की लापरवाही से 10 मजदूरों एवं 10 अन्य सहित कुल 20 लोगों की मौत हो गई थी, जिसकी एफआईआर तो दर्ज की गई, लेकिन उस आज तक क्या कार्रवाई हुई, किसी को पता नहीं।

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