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साइबर ठग आए दिन लोगों को निशाना बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इन दिनों साइबर साइबर ठग ठगी के लिए एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। पुलिस ने इससे बचाव के लिए एडवाइजरी भी जारी की है।
AI की मदद से दे रहे ठगी को अंजाम
बता दें इन दिनों साइबर ठगों ने एआई को ठगी करने का नया हथियार बनाया है। इसके लिए ये लोग पहले सोशल मीडिया पर किसी व्यक्ति की आवाज सुनते हैं। आवाज सुनने के बाद एआई का इस्तेमाल कर उसकी आवाज से मिलती जुलती आवाज तैयार कर इस आवाज में एक वॉयस मैसेज तैयार किया जाता है। ठगी करने के लिए साइबर ठग उस व्यक्ति के परिचित का नंबर तक जुटा लेते हैं।
परिचित की आवाज निकालकर बना रहे शिकार
ठगों की ओर से परिचितों को फोन कर रिकॉर्ड किया हुआ वॉयस मैसेज चलाया जाता है। इस वॉयस मैसेज में एक्सीडेंट होने या फिर अन्य मजबूरी की बात कहते हुए उनसे रुपए की मांग की जाती है। काफी लोग ठगों के झांसे में आकर रुपए तक भेज देते हैं। बता दें एआई से तैयार की गई आवाज असली आवाज से 85 फीसदी तक मिलती जुलती होती है।
ब्लैकमेलिंग के लिए हों रहा AI का इस्तेमाल
साइबर ठग इन दिनाें एआई का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए भी कर रहे हैं। इसके लिए साइबर ठग एआई के माध्यम से अपने आसपास ऐसा माहौल तैयार करते हैं कि मानों वह किसी थाने, आयकर विभाग या बैंक के दफ्तर में बैठे हुए हों। जिस व्यक्ति को फोन किया जाता है उसे पीछे से ऐसी बातें भी सुनाई देती हैं जो अक्सर पुलिस थानों में कही जाती है।
85 फीसदी तक मिलती जुलती होती है AI की आवाज
जानकारी के अनुसार इस तरह के मामले को लेकर डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि ये साइबर ठगी का बिल्कुल नया तरीका है। एआई के माध्यम से आवाज की क्लोनिंग कर धोखाधड़ी की जा रही है। पिछले दिनों एक आवाज के वॉयस सैंपल की जांच की गई थी। जांच में सामने आया था कि क्लोन की गई आवाज संबंधित व्यक्ति की आवाज से तकरीबन 85 फीसदी मिलती है। ऐसे में कोई भी आसानी से ठगों के झांसे में आ सकता है।