उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी केस की पैरवी करेगी उत्तराखंड सरकार, आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाइज्जत बरी करने पर दिल्ली में उत्तराखंड समाज ने की महत्वपूर्ण बैठक
उत्तराखंड की बेटी किरण नेगी के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बाइज्जत बरी करने के बाद उत्तराखंड समाज आहत है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से उत्तराखंड और देशभर में पहाड़ की बेटी के हत्यारों के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। जिसके बाद दिल्ली में रह रहे पहाड़ के तमाम संगठनों ने एक महत्वपूर्ण बैठक कर इस मामले में रिव्यू पेटिशन के लिए एक लीगल कमेटी बनाई है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बड़ा बयाना सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा हैं कि किरण नेगी हमारे प्रदेश की ही नहीं बल्कि देश की बेटी है,उसको न्याय दिलाने के लिए हम हर संभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा की उत्तराखंड सरकार इस हत्याकांड में पैरवी करेगी। इसके लिए हमने इस मामले को उच्चतम न्यायालय में देख रही वकील चारू खन्ना और केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू से भी बात की है। हम हर संभव प्रयास करेंगे की इस गैंगरेप मर्डर केस के आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।
आपको बता दें कि दिल्ली के नजफ़गढ़ क्षेत्र में वर्ष 2012 हुए गैंगरेप और हत्या के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपियों को बरी कर दिया था। इस फैसले के से आहत उत्तराखंड समाज के लोगों द्वारा मंगलवार को दिल्ली के गढ़वाल भवन में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गयी। गढ़वाल हितैषिणी सभा द्वारा आयोजित इस बैठक में किरण नेगी के माता-पिता के सहित लगभग 200 लोग शामिल हुए। बैठक में किरण नेगी के मामले आगे की लड़ाई कैसे लड़ी जाये इस पर सभी ने अपने अपने स्तर पर सुझाव दिये। जिनमें उत्तराखंड जर्नलिस्ट फोरम के अध्यक्ष सुनील नेगी,बीजेपी मयूर विहार के जिलाध्यक्ष विनोद बछेती,पवन मैठाणी सहित तमाम उपस्थित लोगों ने अपने सुझाव दिए।
इस बैठक में एक मत से निर्णय लिया गया कि इस मामले में रिव्यू पेटिशन डालकर इस केस को दुबारा खोला जाए। दूसरा महत्वपूर्ण मुद्दा यह था कि अब जब कि तीनों आरोपी बरी हो चुके हैं और जैसा कि किरण नेगी के माता-पिता का कहना है कि आरोपियों ने उनको पहले ही जान से मारने की धमकी दी थी। तो अब उनके परिवार को सुरक्षा कौन देगा। इसको लेकर केंद्र सरकार से किरण के माता-पिता को सुरक्षा प्रदान करने के लिए कहा जाए।
इसी के साथ किरण नेगी के हत्यारों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए उत्तराखंड ही नहीं बल्कि इस मुद्दे को पूरे देश का मुद्दा बनाकर आगे की लड़ाई लड़ी जाए। बैठक में अधिकांश लोगों का मत था कि किरण नेगी के मुद्दे को पहाड़ या उत्तराखंड की बेटी बोलकर सीमित ना किया जाए बल्कि इस मुद्दे को अब देश की बेटी बनाकर एक बड़ा आन्दोलन बनाकर चलाने की जरुरत है।
किरण नेगी के मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट बार असोसिएशन के सेक्रेटरी एडवोकेट संदीप शर्मा की अध्यक्षता में एक लीगल कमेटी बनाई गयी है। इसमें कौन-कौन सदस्य होंगे इसका फैलसा जल्दी ही लिया जायेगा। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के कल यानि सोमवार को दिए गए फैसले की रिव्यू पेटिशन डालेगी।
बैठक के दौरान लोगों का कहना था कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली का निर्भया कांड भी इसी तरह का था। परन्तु जब वह देश का मुद्दा बना तो करीब 7 साल बाद तीनों आरोपियों को फांसी की सजा मिली। और नजफ़गढ़ की निर्भया के केस में 10 साल बाद आरोपी बरी कर दिए गए।
किरण नेगी के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बरी करने से आहत उत्तराखंड समाज के लोगों का कहना था कि यह फैसला हमारे देश की न्याय प्रणाली पर बहुत बड़ा प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। लोगों का कहना है कि कोर्ट से ज्यादातर मामलों में फांसी की सजा तब मिलती है जब अपराध रेयर ऑफ़ रेयरेस्ट की श्रेणी में आता हो। और किरण नेगी के केस में निचली अदालतों (जिला कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट) ने इस केस को भी रेयर ऑफ़ रेयरेस्ट की श्रेणी का मानते हुए आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जाहिर सी बात है कि कोर्ट ने आरोपियों के इबाले जुर्म वाले बयान भी लिए ही होंगे। तो फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को 8 साल तक लटकाने के बाद इन आरोपियों को कैसे बरी कर दिया? अगर सुप्रीम कोर्ट को यह मामला फांसी की सजा के लायक नहीं लग रहा था,तो कम से कम उम्र कैद तो दी होती।
उत्तराखंड समाज के लोगों का कहना है कि इस मामले में या तो निचली अदालतों का फैसला गलत था,या फिर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत है। पर कुल मिलाकर यह पूरी न्याय पालिका पर सवाल खड़े करने जैसा है। जिसका सुप्रीम कोर्ट को एक बार फिर से संज्ञान लेना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय स्तब्धकारी,भाजपा पीड़ित परिवार के साथ
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने उत्तराखंड की बेटी के साथ छावला दिल्ली में हुए जघन्य अपराध पर आये सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को स्तब्ध करने वाला बताया है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भाजपा, उत्तराखंड सरकार और प्रदेशवासियों की संवेदना पीड़ित परिवार के साथ है और किसी भी तरह इस प्रकरण में अन्याय नही होने दिया जाएगा। इस संबंध में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने केंद्रीय राज्य मंत्री किरण रिजिजू व सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने वाली वकील से बात कर उचित कानूनी कदम उठाने की अपील भी की है। प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने अपने बयान में 2012 में राज्य की बेटी के साथ हुई सामूहिक बलात्कार व हत्या प्रकरण पर आये उच्चतम न्यायालय के निर्णय को समस्त पीड़ित उत्तराखंड वासियों के लिए आहत करने वाला बताया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी संगठन व सरकार पूरी तरह से पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और इस प्रकरण में भी न्याय सुनिश्चित करवाने के लिए प्रदेश सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय से सम्पर्क में है। इस संबंध में मुख्यमंत्री ने किरण रिजिजू व सुप्रीम कोर्ट में पैरोकार चारु खन्ना से बात की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि शीघ्र ही केंद्रीय गृह मंत्रालय व उनकी सुप्रीम कोर्ट की लीगल टीम मामले की गंभीरता के मद्देनजर उचित कानूनी प्रक्रिया के अनुशार आगे की अपील करेगी।