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राजू श्रीवास्तव: आम आदमी का कॉमेडियन ख़ास बन कर असमय चला गया

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राजू श्रीवास्तव

मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का निधन हो गया है. 10 अगस्त को दिल का दौरा पड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

10 अगस्त को वह होटल के जिम में वर्कआउट करते हुए बेहोश हो गए थे, जिसके बाद उन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था. वे उस होटल में चार दिनों से रुके हुए थे.


साल 1963 में कानपुर में कवि रमेश श्रीवास्तव उर्फ बलई काका के यहाँ जन्म लेने वाले राजू श्रीवास्तव को बचपन से ही फ़िल्मी सितारों की मिमिक्री करने का शौक था.


कॉमेडी की दुनिया में शायद उन्हें सबसे ज़्यादा नाम अमिताभ बच्चन की मिमिक्री करके ही मिला.

लेकिन उन्होंने कॉमेडी करना उस दौर में शुरू किया था, जब यूट्यूब, टीवी, सीडी, और डीवीडी नहीं हुआ करती थी. उनका पहला कॉमेडी स्केच ‘हंसना मना है’ भी एक ऑडियो कैसेट की शक्ल में सामने आया था.

श्रीवास्तव का कैसेट निकला है, उससे आइडिया लो.”

राजू श्रीवास्तव ने बताया था, ” उस ज़माने की ख़ासियत ये थी कि वो भी हिट हो गया था. लेकिन बड़ी चुलबुलाहट होती थी कि हम जिस रिक्शे में बैठे हैं. उस रिक्शे में हमारा कैसेट बज रहा है, लेकिन वो सुनने वाला हमें जानता ही नहीं. कभी-कभी हम उसे छेड़ने के लिए कह भी देते थे, ये क्या सुन रहे हो यार, बंद करो कुछ अच्छा लगाओ. इस पर रिक्शे वाला कहता था कि अरे नहीं, भईया, कोई श्रीवास्तव है, बहुत हँसाता है.”

राजू ने एक किस्सा साझा किया था, ”एक बार की बात है कि हम ट्रेन में अपने एक किरदार मनोहर के अंदाज़ में किसी को शोले की कहानी सुना रहे थे…ऊपर की बर्थ पर एक चाचा सो रहे थे, हमें सुनकर वो नीचे उतरे और बोले कि ऐसा है, तुम ये जो कर रहे हो, इसको और ढंग से करो. इसमें थोड़ी और मेहनत करके इसको जो है…(कैसेट बनवाओ) बंबई में जाओ, गुलशन कुमार का होगा स्टूडियो वहाँ. तुम वहाँ सुनाओ अपना ये…तुम्हारा भी कैसेट आएगा. एक श्रीवास्तव का कैसेट निकला है, उससे आइडिया लो.”

 

राजू श्रीवास्तव

ग्रेट लॉफ़्टर चैलेंज से मिली प्रसिद्धि

साल 1982 में मुंबई पहुँचने वाले राजू श्रीवास्तव ने शुरुआती दौर में ऑर्केस्टा के साथ काम किया. और पहली बार फ़ीस के रूप में उन्हें मात्र 100 रुपए मिले.

फ़िल्मों में उनका सफ़र सलमान ख़ान की पहली फ़िल्म ‘मैंने प्यार किया’ से हुआ. इसके बाद उन्होंने बाज़ीगर से लेकर बॉम्बे टू गोवा और आमदनी अठन्नी और ख़र्चा रुपय्या जैसी कई फ़िल्मों में भी काम किया.

लेकिन उन्हें देशव्यापी प्रसिद्धि द ग्रेट इंडियन लॉफ़्टर चैलेंज से मिली, जिसमें उन्होंने अपनी शानदार कॉमेडी से लोगों को अपना दीवाना बना दिया.

 

राजू श्रीवास्तव

राजू श्रीवास्तव को ऐसे कॉमेडियन के रूप में भी जाना जाता है, जो बिना तैयारी अचानक बातों-बातों में चुटकुले सुना सकते हैं.

एक इंटरव्यू में जब उनके ख़ास अतरंगी कपड़ों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था, “मेरे शो लखनऊ-पटना जैसे शहरों में लगने वाले मेलों में होते हैं, जहाँ भारी भीड़ जमा होती है, तो अतरंगी पहनो तो लोगों को दूर से दिख जाता हूँ कि वो देखो वो जा रहा है, और वो खड़ा है. और मैंने चोटी इसलिए रखी है ताकि लोग मुझे चोटी का कलाकार समझें.”

हालाँकि एक दौर ऐसा भी आया, जब कपिल शर्मा का कॉमेडी शो उस दौर के सभी कॉमेडियन पर हावी हो गया. लेकिन राजू श्रीवास्तव इन सबके बीच अपनी ख़ास जगह बना पाने में सफल रहे.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजू श्रीवास्तव के निधन पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने कहा, “वो एक अच्छे कलाकार थे. जीवन पर्यन्त अपनी पीड़ा को दबाते हुए बिना किसी भेदभाव के सबका मनोरंजन करते रहे. मैं प्रदेशवासियों की ओर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूँ.”

  • 10 अगस्त को पड़ा था दिल का दौरा, एम्स में थे भर्ती
  • बिग बॉस सीज़न 3 में भी लिया था हिस्सा
  • 2013 में पत्नी के साथ ‘नच बलिए’ में
  • कॉमेडी का महामुक़ाबला, मज़ाक-मज़ाक में भी आए नज़र
  • ‘मैंने प्यार किया’ समेत कई फ़िल्मों में किया काम
  • 2014 में पहले सपा, बाद में बीजेपी में शामिल हुए

असली नाम सत्यप्रकाश श्रीवास्तव

नवंबर 2017 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था…

राजू श्रीवास्तव मेरा घर का नाम है, लेकिन स्कूल-कॉलेज का नाम सत्य प्रकाश है. अब चूँकि राजू बोलने में अच्छा लगता है… राजू एक लड़के या बच्चे का नाम लगता है और मैं चाहता हूँ कि हमेशा बच्चा ही रहूँ.

जॉन अब्राहम के साथ राजू श्रीवास्तव

जहाँ तक बात बचपन की बात करूँ तो स्कूल में टीचर्स की कॉपी करने के लिए डाँट पड़ती थी. इंदिरा गांधी की मिमिक्री करता था. स्कूल के खेल टूर्नामेंटों में मस्ती-मस्ती में कमेंट्री करता था.

मैंने शुरू में अमिताभ की फ़िल्में देखी चाहे वो शोले हो, दीवार हो.. तो उनकी नकल करने लगा, उनकी आवाज़ निकालने लगा. दोस्त मुझे जूनियर अमिताभ कहा करते थे. छोटे-बड़े शहरों से लोग मुझे बुलाने लगे थे, दुर्गा पूजा हो, दशहरे का मौका हो वहाँ लोग डायलॉग सुनाने के लिए मुझे बुलाया करते थे.

ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज के लिए मना किया था

राजू श्रीवास्तव नहीं मानते कि ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज बहुत बड़ा मंच था. उन्होंने बीबीसी को बताया था…

एकबारगी आप ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज को भूल जाइए, तो प्लेटफॉर्म बहुत छोटा और बेकार सा था. मेरे पास ऑफ़र आया था कि नए-नए लड़कों का एक प्रोग्राम शुरू हो रहा है. चाहे सुनील पाल हों, अहसान कुरैशी, नवीन प्रभाकर… किसी को कोई नहीं जानता था. उसमें मुझे शामिल किया जा रहा था. मुझे तो लोगों ने रोका कि ऐसे प्रोग्राम में मत जाओ जिसमें जॉनी लीवर भी नहीं है, जावेद जाफ़री भी नहीं है और अरशद भी नहीं है. मेरे कई कैसेट ‘हंसी का हंगामा’, ‘हंसते रहो’ बाज़ार में आ गए थे. मैंने कई फ़िल्मों में भी काम किया था ‘मैंने प्यार किया’, मैं प्रेम की दीवानी हूँ, मिस्टर आज़ाद, वाह तेरा क्या कहना, आमदनी अठन्नी और खर्चा रुपय्या. कई बार डायरेक्टर को मना कर चुका था. लेकिन मैंने अमिताभ बच्चन को आदर्श मानते हुए तैयार हुआ कि ‘जो दिखता है वो बिकता है’.

मैंने कई बार इस शो के लिए मना कर दिया था. लेकिन मन मार के इसमें गया और वहीं से सबकी तक़दीर बदल गई…जिसने भी इसमें हिस्सा लिया वो स्टार बन गए.

जब मैं लॉफ्टर शो में पहुँचा तो जितने पार्टिसिपेंट्स वहाँ पहुँचे थे तो समझ रहे थे कि मैं वहाँ जज हूँ. उन्होंने मेरी ऑडियो कैसेट सुनी थी और वो मुझे अच्छी तरह जानते थे.

किशोर दा के साथ किया था वर्ल्ड टूर

ज़्यादातर लोगों को भले ही राजू श्रीवास्तव की पहली छवि ग्रेट इंडियन लॉफ्टर शो में नज़र आए हों, लेकिन राजू ने टीवी पर आने से पहले किशोर कुमार और लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के साथ वर्ल्ड टूर कर लिया था. राजू श्रीवास्तव बताते हैं, “भीड़ और उनका रिस्पॉन्स तो मैं पहले ही देख चुका था, लेकिन लॉफ्टर चैलेंज के बाद वो कई गुना बढ़ गया था.”

राजू श्रीवास्तव के सियासी सफ़र की बात करें तो वह 2014 में कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने के इरादे से समाजवादी पार्टी में शामिल हुए. लेकिन कुछ समय बाद ही उन्होंने यह कहते हुए सपा से किनारा कर लिया कि स्थानीय स्तर पर उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं का समर्थन नहीं मिल रहा है.

बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें स्वच्छ भारत अभियान के लिए नामित भी किया था.

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