अल्मोड़ा में गरजे सरपंच: वन पंचायतों को प्रधानों के अधीन देने का विरोध, सरकार के खिलाफ नारेबाजी की


अल्मोड़ा में गरजे सरपंच: वन पंचायतों को प्रधानों के अधीन देने का विरोध, सरकार के खिलाफ नारेबाजी की
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अल्मोड़ा,उत्तराखंड!!
वन पंचायतों को समाप्त करने के प्रयासों से नाराज कुमाऊं भर के सरपंचों ने अल्मोड़ा में जुलूस निकाला। उन्होंने सरकार और वन मंत्री के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध जताया। कहा कि यदि मांगें पूरी नहीं हुई तो प्रदेश व्यापी आंदोलन किया जाएगा।
बृहस्पतिवार को चौघानपाटा स्थित गांधी पार्क में एकत्र हुए सरपंचों ने शिखर तिराहे तक जुलूस निकाला। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि जंगलों को बचाने में वन पंचायतों की अहम भूमिका है लेकिन वन पंचायतों को ग्राम प्रधानों के अधीन कर सरंपच का पद समाप्त किया जा रहा है। आरोप लगाया कि वन पंचायतों को समाप्त करने की साजिश की जा रही है।
सरपंचों ने वन पंचायतों को ग्राम प्रधानों के अधीन करने का प्रस्ताव निरस्त करने, वन पंचायत नियमावली में संशोधन करने, वन पंचायत सलाहकार समिति का गठन करने, वन पंचायत नियमावली का पुनर्निमाण करने की मांग की।
पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल ने आंदोलन स्थल पर पहुंचकर सरपंचों के आंदोलन को समर्थन दिया। वहां गणेश चंद्र जोशी जिलाध्यक्ष वन पंचायतराज नेगी, गोपाल सिंह ,प्रकाश हर्बोला
देवेंद्र पांडे ,भुवन जोशी ,कैलाश खंडूरी,बी डी सती,ठाकुर सिंह भंडारी ,बलवंत नेगी ,घनानंद शर्मा ,गंगा दत्त पांडे ,विनोद पांडे ,हेमू जोशी ,भीम सिंह नेगी,आशा,बीना,हेमा,बबली , तारा पाण्डेय

,दीप बेलवाल, मनोज कुमार सती, निशा जोशी, बृजेश चंद्र जोशी, प्रेम सिंह, विनोद सिंह, पूरन चिल्मोड़ी, प्रेम चंद्र आदि थे।
बोले सरपंच-
वन पंचायतों को ग्राम प्रधानों के अधीन करने का प्रस्ताव निरस्त नहीं किया गया तो प्रदेश व्यापारी आंदोलन करने को बाध्य होंगे। सरपंचों का पद खत्म करने की साजिश का विरोध किया जाएगा।
– दान सिंह कठायत, सरपंच
वन पंचायतों को समाप्त करने की साजिश की जा रही है, जबकि जंगलों को बचाने में वन पंचायतों की ही अहम भूमिका है। सरकार और वन मंत्री की तानाशाही का विरोध जारी रहेगा।
-दिनेश पिलख्वाल, सरपंच
सरपंचों की समस्याएं जायज़ है सरकार को सरपंचों को बुला कर सार्थक पहल करनी चाहिए :- गणेश चंद्र जोशी जिला अध्यक्ष वन पंचायत




