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शिक्षक दिवस विशेष , ‘बाघ’ को बाघ जैसा ही होना चाहिए,बाघ अगर बिल्ली जैसा होगा तो बात बनेगी भी नहीं : राजेन्द्र ढैला!

शिक्षक दिवस विशेष , ‘बाघ’ को बाघ जैसा ही होना चाहिए,बाघ अगर बिल्ली जैसा होगा तो बात बनेगी भी नहीं : राजेन्द्र ढैला!

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उत्तराखंड लोक गायक:- राजेंद्र ढैला !

शिक्षक दिवस विशेष

  ‘बाघ’ को बाघ जैसा ही होना चाहिए,बाघ अगर बिल्ली जैसा होगा तो बात बनेगी भी नहीं और जमेगी भी नहीं हां तो ठीक इसी प्रकार एक शिक्षक को भी शिक्षक{गुरू} जैसा ही होना चाहिए, अगर उसमें किन्हीं और गुणों का समावेश दिखाई देता है तो फिर वह शिक्षक कहलाने का हकदार कतई नहीं हो सकता। शिक्षक को यह याद रहना चाहिए कि उसके पास देखने के लिए भले ही दो आँखें हैं मगर उसको देखने वाली सैकड़ों-हजारों आँखें हैं,जो हर घङी उसी पर नजर टिकाए हुई हैं।
   समाज में शिक्षक का पद बङा ही सम्मानित व प्रतिष्ठित है क्योंकि शिक्षक अपने छात्रों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक ज्ञान भी प्रदान करते हैं जोकि छात्रों के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान रखता है। दुर्भाग्यवश इस सामाजिक प्रतिष्ठित पद पर भी कुछ तुछ्य मानसिकता के लोग आ जाते हैं जो एक सम्मानित पद पर रहते हुए अनैतिक कार्य करते हैं और शिक्षक या गुरु की परिभाषा ही बदल देते हैं, इसमें से कुछों की हरकत सामने आ पाती है बहुत लोग बच निकलते हैं उनमें से बहुत से लोग शिक्षक दिवस पर यह चाहते होंगे कि उनके शिष्य उन्हें याद करें व शुभकामना दें।
  ये शिक्षक दिवस उन महान शिक्षकों को समर्पित है जिन्होंने समाज में धैर्य,निष्ठा,सदाचार व शिष्टाचार की राह पर चलते हुए अपने छात्रों को नैतिकता का पाठ पढाकर एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  ऐसे सभी शिक्षकों को शिक्षक दिवस की ढेरों बधाई, शुभकामनाएं व कोटी-कोटी नमन सादर।


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