

बड़ी खबर:- 02 अगस्त से प्रदेश के 4000 अतिथि शिक्षक करेंगे महाआंदोलन

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उत्तराखंड
इस साल प्रदेश विभाग में कॉउंसलिंग द्वारा जो तबादले किये गए हैं, उनसे प्रदेश के पहाड़ी इलाकों के अधिकतर स्कूल शिक्षक विहीन हो रहें हैं, तथा जिन स्कूलों में अतिथि शिक्षक कार्यरत थे उनके पदों को भी रिक्त दिखाया गया था,जबकि उस पद पर पहले से ही अतिथि शिक्षक कार्यरत था,ये वही अतिथि शिक्षक थे जो प्रदेश स्तरीय मेरिट द्वारा तथा कैबिनेट द्वारा निर्णय लेकर ही नियुक्त किये गए थ। अब जबकि तबादले हो गए हैं,उन स्कूलों में भी परमानेंट शिक्षक आ रहे हैं जहाँ पे अतिथि शिक्षक पहले से कार्यरत है। इस नियम से 2000 से ज्यादा अतिथि शिक्षकों की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं,तथा पहाड़ के स्कूल शिक्षक विहीन हो रहे हैं,पहले तबादले किये जाते हैं,फिर आनन् फानन में कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया जाता है कि 70% से कम शिक्षक होने पे किसी को कार्यमुक्त न किया जाय,अब बताया जा रहा है कि 70% शिक्षक में अतिथि शिक्षक को भी गिना जाय। तबादले के वक्त ये काम चलाऊ थे,लाभ लेते वक़्त ये पूर्ण शिक्षक हैं। अतः इन दोहरी नीति के खिलाफ अब इन शिक्षकों ने दिनांक 02 अगस्त से कार्य बहिष्कार कर आंदोलन का ऐलान किया है| इनके संघटन के प्रदेश अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि हमारी विगत 02 साल से कुछ मांगे थी,जिनमें हमारे पदों को रिक्त न माना जाय, और वेतन बढ़ोतरी प्रमुख थी,जिन पे माननीय मंत्री जी और मुख्यमंत्री जी द्वारा भी आश्वासन दिया गया था। परन्तु कोई सुनवाई नहीं हुई ना ही कोई सकारात्मक निर्णय विभाग और सरकार द्वारा लिया गय। उनके द्वारा बताया गया कि हमारे शिक्षक साथी अभी दुर्गम स्कूलों में जाने के लिए तैयार हैं, परन्तु कुछ समय बाद इनके पदों पे कोई नयी नियुक्ति या तबादले से किसी को भी भेजा जा सकता है,जिससे उसकी सेवा फिर प्रभावित होगी। अतः उन्होंने सरकार और विभाग से अगर कोई ठोस निर्णय ना होने पे दिनांक 02 अगस्त से अनिश्चित कालीन धरना और आंदोलन करने की बात कही है,जिस पे सभी ने सहमती जताई है। तथा 02 अगस्त से सभी देहरादून की सड़कों पे आंदोलन करेंगे। अतः पहाड़ के बच्चों की पढ़ाई जो कि तबादलों से पहले से ही प्रभावित थी, अब इनके आंदोलन से जो हो रही थी वह भी प्रभावित ही होगी। सरकार और विभाग के पास पहले से ही शिक्षकों की कमी है,अतः इनके लिए कोई नीति बनाकर क्यों दुर्गम के स्कूलों में इनकी नियुक्ति नहीं की जा सकती,जिससे दुर्गम के स्कूलों को टीचर भी मिल जाएँ और बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित ना हो।




