हल्द्वानी:- कमलुवागांजा इलाके में बाघ का खतरा,सावधान रहें!
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हल्द्वानी!
सामाजिक कार्यकर्ता कैप्टन सोबन सिंह भड़ ने बताया कि
विगत कुछ दिनों से कमलुवागांजा क्षेत्र में बाघ की धमक को ना केवल महसूस किया जा रहा है बल्कि लोगों का बाघ के साथ अपने घर और रास्ते में आमना सामना भी हो चुका है। क्योंकि कामुवागांजा क्षेत्र में बड़ी संख्या में आबादी का विस्तार हुआ है जिसका कुछ हिस्सा बिलकुल जंगल से सटा है तो कुछ हिस्सा जंगल के काफी पास में पड़ता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो जंगली जानवरों का इस इलाके में खतरा हमेशा बना रहता है। जैसा कि सर्व विदित है हाल के दिनों में पहाड़ से लेकर तराई तक एक आतंक के बारे में लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है और वह आतंक है जंगली जानवर बाघ का। कई बार इलाके में लोगो का आमना सामना बाघ से हो चुका है। इलाके के त्रिमूर्ति मंदिर और रिलायंस मार्ट के बीच में गोविंदपुर गढ़वाल को जाने वाली रोड में सर्व प्रथम बीएस देउपा जी के आंगन में सीसीटीवी में बाघ को साफ देखा गया था। यह घटना थी 13 दिसंबर समय करीब शाम को 07:25 बजे की। दूसरी घटना श्री प्रताप सिंह कैड़ा जो त्रिमूर्ति मंदिर के पीछे किराने की दुकान चलाते हैं का आज ( 26/12) प्रातः करीब 5:30 बजे बिजलीघर, कमलुवागांजा के नजदीक बाघ से आमना सामना हो गया था उन्होंने किसी तरह गाड़ी का तेज तेज हॉर्न बजाकर अपनी जान बचाई। इस बाबत कैप्टन सोबन भड़ ने वन विभाग के श्री नरेश आर्या जो डिप्टी रेंजर के पद पर है से बाघ के इलाके में मौजूदगी के बारे में पूछा तो डिप्टी रेंजर ने बेलबाबा इलाके में बाघ की होने की पुष्टि की। कैप्टन भड़ ने आगे बताया कि अगर समय रहते वन विभाग और प्रशासन नही जागा तो इलाके में अनहोनी हो सकती है। इस बाबत बीएस देऊपा ने कैप्टन भड़ को बताया कि उनकी इस विषय पर डीएफओ से बात हुई। वहीं गिरजा विहार निवासी श्री श्रीस कोठारी ने रेंजर से बात करी तो नरेश आर्या के नेतृत्व में एक टीम गस्त के लिए इलाके में आई। कैप्टन भड़ ने बताया कि एक दिन के गस्त से समाधान नहीं निकलेगा। विभाग को चाहिए कि नियमित गस्त के साथ साथ लगातार उसकी मॉनिटरिंग करके रिकॉर्ड रखा जाए और पकड़ कर घने जंगलों या चिड़ियाघर में छोड़ना चाहिए तब जाकर बाघ के आतंक से लोगों में राहत महसूस होगी।
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